Wednesday, September 15, 2010

SAPNO KI DUNIYA

सपनों की दुनिया

 
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ दूर तक खुली फिजा हों
हरी भरी वादियाँ हों
नदियाँ और झरनें  हों
चहचहाते पंछी और फूल हों
दूर तक फैली हरियाली हों
 
 

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ किसी के चीखने की आवाज़ ना हों
किसी भूखे  बच्चे  का रोना ना हों
किसी औरत की मजबूरी ना हों
किसी पर अत्याचार ना हों
                                                       कहीं भ्रष्टाचार ना हों
 
 


            आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
            जहाँ हर तरफ शान्ति सुकून हों
  आपस मैं अपनापन हों
       पुलकित प्रफुलित मुखड़े हों
  और जहाँ हों सिर्फ
प्यार प्यार प्यार