Wednesday, September 15, 2010

SAPNO KI DUNIYA

सपनों की दुनिया

 
आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ दूर तक खुली फिजा हों
हरी भरी वादियाँ हों
नदियाँ और झरनें  हों
चहचहाते पंछी और फूल हों
दूर तक फैली हरियाली हों
 
 

आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
जहाँ किसी के चीखने की आवाज़ ना हों
किसी भूखे  बच्चे  का रोना ना हों
किसी औरत की मजबूरी ना हों
किसी पर अत्याचार ना हों
                                                       कहीं भ्रष्टाचार ना हों
 
 


            आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
            जहाँ हर तरफ शान्ति सुकून हों
  आपस मैं अपनापन हों
       पुलकित प्रफुलित मुखड़े हों
  और जहाँ हों सिर्फ
प्यार प्यार प्यार

   

1 comment:

  1. प्रिय रुनझुन
    स्वागत है …
    बड़ी प्यारी कविता लिखी है …

    आओ हम कहीं ऐसी जगह चलें
    जहां हर तरफ शान्ति सुकून हो
    आपस में अपनापन हो
    पुलकित प्रफु्ल्लित मुखड़े हों
    और जहां हो सिर्फ
    प्यार प्यार प्यार !

    पढ़ते पढ़ते लगा कि रुनझुन से दोस्ती कर ली जाए
    कई ख़ूबसूरत मंज़र सामने होंगे …
    लेकिन आपका तो कोई अता पता भी नहीं मिल रहा …

    अच्छा ! अभी पहली ही पोस्ट है ! … और मेरा कमेंट ही पहला कमेंट !!

    रुनझुन ! सपनों की दुनिया दूर नहीं …


    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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